सर्पगंधा का वानस्पतिक नाम #रावोल्फिया #सर्पेंटीना
(Rauvolfia Serpentina) है। अपने अलग-अलग गुणों के साथ, दुनिया भर में
सर्पगंधा की बहुत सी किस्म होती हैं, लेकिन ज्यादातर सबके मौलिक लाभ एक ही
हैं। भारतीय सर्पगंधा दो सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया
गया है। क्योंकि यह जड़ीबूटी सर्पदंश में बहुत लाभदायक है, इसलिए इसका नाम
सर्पगंधा है। सर्पगंधा की जड़ को सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है, इसकी
जड़ को चबाकर या सुखाकर पाउडर बनाकर आदि तरीकों से खाया जा सकता है
सर्पगंधा का पौधा है सर्पदंश के लिए उपयोगी
इस पौधे का उपयोग विभिन्न प्रकार के विषों को निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है। सर्पदंश के उपचार में यह अत्यंत ही बहुमूल्य औषधी है, इसके अलावा सर्पगंधा का उपयोग ज्वर, हैजा तथा अतिसार के उपचार के लिए किया जाता है। यह प्रभावी ढंग से विभिन्न प्रकार के दंश और विष को बेअसर करते हुए सूजन और प्रभावित क्षेत्र के दर्द को भी कम करता है। सर्प विष में सर्पगंधा जड़ को 1 से 2 तोला जल में घिसकर पिलाते हैं और सर्पदंश स्थान पर इसकी जड़ के #पाउडर का लेप भी लगाते हैं। सर्पदंश में सर्पगंधा की ताजी ताजी पत्तिंयो को पाँव के तलवे के नीचे लगाने से भी काफी आराम प्राप्त होता है।
सर्पगंधा का पौधा है सर्पदंश के लिए उपयोगी
इस पौधे का उपयोग विभिन्न प्रकार के विषों को निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है। सर्पदंश के उपचार में यह अत्यंत ही बहुमूल्य औषधी है, इसके अलावा सर्पगंधा का उपयोग ज्वर, हैजा तथा अतिसार के उपचार के लिए किया जाता है। यह प्रभावी ढंग से विभिन्न प्रकार के दंश और विष को बेअसर करते हुए सूजन और प्रभावित क्षेत्र के दर्द को भी कम करता है। सर्प विष में सर्पगंधा जड़ को 1 से 2 तोला जल में घिसकर पिलाते हैं और सर्पदंश स्थान पर इसकी जड़ के #पाउडर का लेप भी लगाते हैं। सर्पदंश में सर्पगंधा की ताजी ताजी पत्तिंयो को पाँव के तलवे के नीचे लगाने से भी काफी आराम प्राप्त होता है।
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